मुक़द्दस यूहन्ना की मा'रिफ़त इन्जील
मुसन्निफ़ की पहचान
1, ज़ब्दी का बेटा यूहन्ना इस इन्जील का मुसन्निफ़ है और यूहन्ना 21:20, 24 सबूत पेश करता है कि यह इन्जील उस शागिर्द की क़लम से है “जिस से येसू मोहब्बत रखता था और यूहन्ना ख़ुद को इस बतौर हवाला देता है वह शागिर्द जिसे येसू मोहबबत रख्ता था।” वह और उस का भाई याक़ूब “गरज के बेटे” कहलाते थे (मरक़ुस 3:17) उन्हें बिला शिर्कत — ए — ग़ैरे मौक़ा नसीब था कि येसू की ज़िन्दगी के वाक़िआत की बाबत गवाही दें और तस्दीक़ पेश करें।
लिखे जाने की तारीख़ और जगह
इस के तस्नीफ़ की तारीख़ तक़रीबन 50 - 90 ईस्वी के आसपास है।
यूहन्ना की इंजील को हो सकता है इफ़सुस से लिखी गई हो। तहरीर किए जाने के ख़ास मकामात यहूदिया का देहाती इलाक़ा, सामरिया, गलील, बैतानिया, यरूशलेम हो सकते हैं।
क़बूल कुनिन्दा पाने वाले
यूहन्ना की इन्जील यहूदियों के लिए लिखी गई थी। उसकी इन्जील ख़ास तौर से यहूदियों को यह साबित करने के लिए लिखी गई थी कि येसू ही मसीहा था। जो इतला‘ उस मे मुहय्या की वह इसलिए थी कि यहूदी लोग एत्क़ाद करें कि येसू ही मसीह है ताकि वह उस पर एत्क़ाद करके उस के नाम से ज़िन्दगी पाएं।
असल मक़सूद
यूहन्ना की इन्जील को लिखने का मक़सद यह है कि तौसीक़ करे और मसीहियों को ईमान में महफ़ूज़ करे जिस तरह से यूहन्ना 20:31 में तअय्युन किया गया है कि लेकिन यह इस लिए लिखे कि तुम ईमान लाओ कि येसू ही ख़ुदा का बेटा मसीह है और ईमान लाकर उस के नाम से ज़िन्दगी पाओ। यूहन्ना ने वाज़ेह तौर से येसू के ख़ुदा होने का एलान यिका (यूहन्ना 1:1) जिस ने तख़लीक़ की सारी चीज़ों को वजूद में ले आया (यूहन्ना 1:3) वह नूर है (यूहन्ना 1:4, 8:12) और ज़िन्दगी है (यूहन्ना 1:4, 5:26, 14:6) यूहन्ना की इन्जील यह साबित करने के लिए लिखा गया था कि येसू मसीह ख़ुदा का बेटा है।
मौज़’अ
येसू ख़ुदा का बेटा
बैरूनी ख़ाका
1. येसू ज़िन्दगी का बानी बतौर — 1:1-18
2. पहले शागिर्द की बुलाहट — 1:19-51
3. येसू की अवाम में खि़दमतगुज़ारी — 2:1-16:33
5. येसू मसीह की मस्लूबियत और क़्यामत — 18:1-20:10
6. येसू की क़्यामत से पहले की खि़दमतगुज़ारी — 20:11-21:25
1
ताँरीफ़ी तकरीर:येसु और अब्दि ज़िन्दगी
1 इब्तिदा में कलाम था, और कलाम ख़ुदा के साथ था, और कलाम ही ख़ुदा था। 2 यही शुरू में ख़ुदा के साथ था। 3 सब चीज़ें उसके वसीले से पैदा हुईं, और जो कुछ पैदा हुआ है उसमें से कोई चीज़ भी उसके बग़ैर पैदा नहीं हुई। 4 उसमें ज़िन्दगी थी और वो ज़िन्दगी आदमियों का नूर थी। 5 और नूर तारीकी में चमकता है, और तारीकी ने उसे क़ुबूल न किया। 6 एक आदमी युहन्ना नाम आ मौजूद हुआ, जो ख़ुदा की तरफ़ से भेजा गया था; 7 ये गवाही के लिए आया कि नूर की गवाही दे, ताकि सब उसके वसीले से ईमान लाएँ। 8 वो ख़ुद तो नूर न था, मगर नूर की गवाही देने आया था। 9 हक़ीक़ी नूर जो हर एक आदमी को रौशन करता है, दुनियाँ में आने को था। 10 वो दुनियाँ में था, और दुनियाँ उसके वसीले से पैदा हुई, और दुनियाँ ने उसे न पहचाना।। 11 वो अपने घर आया और और उसके अपनों ने उसे क़ुबूल न किया। 12 लेकिन जितनों ने उसे क़ुबूल किया, उसने उन्हें ख़ुदा के फ़र्ज़न्द बनने का हक़ बख़्शा, या'नी उन्हें जो उसके नाम पर ईमान लाते हैं। 13 वो न ख़ून से, न जिस्म की ख़्वाहिश से, न इंसान के इरादे से, बल्कि ख़ुदा से पैदा हुए। 14 और कलाम मुजस्सिम हुआ फ़ज़ल और सच्चाई से भरकर हमारे दरमियान रहा, और हम ने उसका ऐसा जलाल देखा जैसा बाप के इकलौते का जलाल। 15 युहन्ना ने उसके बारे में गवाही दी, और पुकार कर कहा है, “ये वही है, जिसका मैंने ज़िक्र किया कि जो मेरे बाद आता है, वो मुझ से मुक़द्दम ठहरा क्यूँकि वो मुझ से पहले था।” 16 क्यूँकि उसकी भरपूरी में से हम सब ने पाया, या'नी फ़ज़ल पर फ़ज़ल। 17 इसलिए कि शरी'अत तो मूसा के ज़रिए दी गई, मगर फ़ज़ल और सच्चाई ईसा मसीह के ज़रिए पहुँची। 18 ख़ुदा को किसी ने कभी नहीं देखा, इकलौता बेटा जो बाप की गोद में है उसी ने ज़ाहिर किया।
19 और युहन्ना की गवाही ये है, कि जब यहूदी अगुवो ने येरूशलेम से काहिन और लावी ये पूछने को उसके पास भेजे, “तू कौन है?” 20 तो उसने इक़रार किया, और इन्कार न किया बल्कि, इक़रार किया, “मैं तो मसीह नहीं हूँ।” 21 उन्होंने उससे पूछा, “फिर तू कौन है? क्या तू एलियाह है?” उसने कहा, “मैं नहीं हूँ।” “क्या तू वो नबी है?” उसने जवाब दिया, कि “नहीं।” 22 पस उन्होंने उससे कहा, “फिर तू है कौन? ताकि हम अपने भेजने वालों को जवाब दें कि, तू अपने हक़ में क्या कहता है?” 23 मैं “जैसा यसायाह नबी ने कहा, वीराने में एक पुकारने वाले की आवाज़ हूँ, 'तुम ख़ुदा वन्द की राह को सीधा करो'।” 24 ये फ़रीसियों की तरफ़ से भेजे गए थे। 25 उन्होंने उससे ये सवाल किया, “अगर तू न मसीह है, न एलियाह, न वो नबी, तो फिर बपतिस्मा क्यूँ देता है?” 26 युहन्ना ने जवाब में उनसे कहा, “मैं पानी से बपतिस्मा देता हूँ, तुम्हारे बीच एक शख़्स खड़ा है जिसे तुम नहीं जानते। 27 या'नी मेरे बाद का आनेवाला, जिसकी जूती का फ़ीता मैं खोलने के लायक़ नहीं।” 28 ये बातें यरदन के पार बैत'अन्नियाह में वाक़े' हुईं, जहाँ युहन्ना बपतिस्मा देता था।
29 दूसरे दिन उसने ईसा 'को अपनी तरफ़ आते देखकर कहा, “देखो, ये ख़ुदा का बर्रा है जो दुनियाँ का गुनाह उठा ले जाता है! 30 ये वही है जिसके बारे मैंने कहा था, 'एक शख़्स मेरे बाद आता है, जो मुझ से मुक़द्दम ठहरा है, क्यूँकि वो मुझ से पहले था।' 31 और मैं तो उसे पहचानता न था, मगर इसलिए पानी से बपतिस्मा देता हुआ आया कि वो इस्राईल पर ज़ाहिर हो जाए।” 32 और युहन्ना ने ये गवाही दी: “मैंने रूह को कबूतर की तरह आसमान से उतरते देखा है, और वो उस पर ठहर गया। 33 मैं तो उसे पहचानता न था, मगर जिसने मुझे पानी से बपतिस्मा देने को भेजा उसी ने मुझ से कहा, 'जिस पर तू रूह को उतरते और ठहरते देखे, वही रूह — उल — क़ुद्दूस से बपतिस्मा देनेवाला है। 34 चुनाँचे मैंने देखा, और गवाही दी है कि ये ख़ुदा का बेटा है।”
35 दूसरे दिन फिर युहन्ना और उसके शागिर्दों में से दो शख़्स खड़े थे, 36 उसने ईसा पर जो जा रहा था निगाह करके कहा, “देखो, ये ख़ुदा का बर्रा है!” 37 वो दोनों शागिर्द उसको ये कहते सुनकर ईसा के पीछे हो लिए। 38 ईसा ने फिरकर और उन्हें पीछे आते देखकर उनसे कहा, “तुम क्या ढूँडते हो?” उन्होंने उससे कहा, “ऐ रब्बी (या'नी ऐ उस्ताद), तू कहाँ रहता है?” 39 उसने उनसे कहा, “चलो, देख लोगे।” पस उन्होंने आकर उसके रहने की जगह देखी और उस रोज़ उसके साथ रहे, और ये चार बजे के क़रीब था। 40 उन दोनों में से जो यूहन्ना की बात सुनकर ईसा के पीछे हो लिए थे, एक शमौन पतरस का भाई अन्द्रियास था। 41 उसने पहले अपने सगे भाई शमौन से मिलकर उससे कहा, “हम को ख़्रिस्तुस, या'नी मसीह मिल गया।” 42 वो उसे ईसा के पास लाया ईसा ने उस पर निगाह करके कहा, “तू यूहन्ना का बेटा शमौन है; तू कैफ़ा या'नी पतरस कहलाएगा।“
43 दूसरे दिन ईसा ने गलील में जाना चाहा, और फ़िलिप्पुस से मिलकर कहा, “मेरे पीछे हो ले।“ 44 फ़िलिप्पुस, अन्द्रियास और पतरस के शहर, बैतसैदा का रहने वाला था। 45 फ़िलिप्पुस से नतनएल से मिलकर उससे कहा, जिसका ज़िक्र मूसा ने तौरेत में और नबियों ने किया है, वो हम को मिल गया; वो यूसुफ़ का बेटा ईसा नासरी है।” 46 नतनएल ने उससे कहा, “क्या नासरत से कोई अच्छी चीज़ निकल सकती है?” फ़िलिप्पुस ने कहा, “चलकर देख ले।” 47 ईसा ने नतनएल को अपनी तरफ़ आते देखकर उसके हक़ में कहा, “देखो, ये फ़िल हक़ीक़त इस्राईली है! इस में मक्र नहीं।“ 48 नतनएल ने उससे कहा, “तू मुझे कहाँ से जानता है?” ईसा ने उसके जवाब में कहा, “इससे पहले के फ़िलिप्पुस ने तुझे बुलाया, जब तू अंजीर के दरख़्त के नीचे था, मैंने तुझे देखा।” 49 नतनएल ने उसको जवाब दिया, “ऐ रब्बी, तू ख़ुदा का बेटा है! तू बादशाह का बादशाह है!” 50 ईसा ने जवाब में उससे कहा, “मैंने जो तुझ से कहा, 'तुझ को अंजीर के दरख़्त के नीचे देखा, 'क्या। तू इसीलिए ईमान लाया है? तू इनसे भी बड़े — बड़े मोजिज़े देखेगा।“ 51 फिर उससे कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ, कि आसमान को खुला और ख़ुदा के फ़रिश्तों को ऊपर जाते और इब्न — ए — आदम पर उतरते देखोगे।”